कभी कभी कुछ गाने ऐसे बन जाते हैं जो उस दौर का प्रतिनिधित्व करने लग जाते हैं और आम जनता की आवाज़ बनकर सत्ता प्रतिष्ठान की मुखालफत का माध्यम बनकर लोगों के दिल-ओ-दिमाग में खलबली तक पैदा कर देते हैं.जल्द ही रिलीज होने वाली फिल्म ‘पीपली लाइव’ का यह गीत भी महंगाई के खिलाफ राष्ट्रीय गीत बन गया है.इस गाने के बोल-“सखी सैंया तो खूब ही कमात है,महंगाई डायन खाय जात है.”ने भी लोगों को झकझोर दिया है.आलम यह है कि इस गाने को कांग्रेस विरोध की धुरी बनाने के लिए भाजपा ने बकायदा गीत के कापीराईट हासिल करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. यदि आप भूले न हो तो चंद साल पहले भी एक गाना जनता ही नहीं सरकार की उपलब्धियों की आवाज़ बन गया था.यह गाना था फिल्म ‘स्लमडोग मिलिनियर’ में ऑस्कर विजेता संगीतकार ए आर रहमान का स्वर और संगीतबद्ध किया गया “जय हो”.तब कांग्रेस ने बकायदा इस गीत के अधिकार लेकर इसे अपने चुनाव प्रचार का मुख्य हथियार बना लिया था.इस गीत ने आम जनता पर भी जादू किया और कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो गई. फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ के गीत “आल इज वैल” ने स्कूल-कालेज के छात्रों को स्वर दे दिया था.
ऐसा नहीं है कि आज के दौर में गीतों की लोकप्रियता यह मुकाम हासिल कर रही है.इसके पहले भी फिल्म ‘उपकार' का मशहूर गीत “मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती” तत्कालीन दौर में किसानों के दिल की धड़कन बन गया था.यह वह समय था जब देश में जवाहरलाल नेहरु और लालबहादुर शास्त्री के नाम ईश्वर की तरह लिए जाते थे.यह हरित क्रांति का दौर था एवं हमारे देश की मिटटी वाकई में सोना उगलती थी. इसी फिल्म'पूरव और पश्चिम' का एक गाना “भारत का रहने वाला हूँ,भारत की बात सुनाता हूँ” ने भी देश को पश्चिमी सभ्यता से हटकर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.इसीतरह जब देश नवनिर्माण के दौर से गुजर रहा था और आम लोग कंधे-से कंधा मिलाकर देश को बनाने में जुटे थे तब फिल्म ‘नया दौर’ का गीत “साथी हाथ बढ़ाना ,एक अकेला थक जाए तो मिलकर बोझ उठाना” देश की आवाज़ बन गया था.
इसके अलावा फिल्म नाम के गीत “चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है”, फिल्म परदेश के गीत “ये मेरा इंडिया...”,लताजी की आवाज़ में अमर गीत “जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी” आज भी हमारी आँखों में पानी ला देते है. यदि आपकी स्मृति में भी ऐसे ही कुछ प्रतिनिधित्व गीत हैं तो उन्हें इस लड़ी में पिरोने में सहयोग कीजिये क्योंकि एक-एक मोती से ही तो सुरों की यह माला पूरी होगी और हम मिलजुलकर इस प्रतिनिधि गीतों को एक बार फिर याद कर पाएंगे....
“जुगाली” समाज में आमतौर पर व्याप्त छोटी परन्तु गहराई तक असर करने वाली बुराइयों, कुरीतियों और समस्याओं पर ‘बौद्धिक विलाप’ कर अपने मन का बोझ हल्का करने और अन्य जुगाली-बाज़ों के साथ मिलकर इन बुराइयों को दूर करने के लिए एक अभियान है. आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बदलाव के इस प्रयास में भागीदार बन सकते हैं..
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bhut achchi post.. aur isi ladi mai 'allah ke bande has de, jo bhi ho kal phir aayega' ko jodungi.
जवाब देंहटाएंसर,
जवाब देंहटाएं“मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती” का गाना 'पूरब और पश्चिम' का नहीं, बल्कि 'उपकार' का है। ये आलेख आपने हमारी साइट 'मेरीखबर.कॉम' पर भी भेजा है। वहां मैंने सुधार कर लगा दिया है। कृपया आप यहां भी संशोधित कर लें।